Class 11 History Chapter = 2 लेखन कला और शहरी जीवन

 Class 11 

History 

📚 अध्याय = 2 📚

💠 लेखन कला और शहरी जीवन 💠 

❇️ मेसोपोटामिया का अर्थ :- 

🔹 यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘ मेसोस ‘ यानि मध्य ‘ पोटैमोस ‘ यानि नदी से मिलकर बना है । मैसोपोटामिया दजला व फरात नदियों के बीच की उपजाऊ धरती को इंगित करता है । 

❇️ मेसोपोटामिया :- 

🔹 दजला और फरात नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है । शहरी जीवन की शुरुआत इसी सभ्यता में होती है । शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई । मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता , शहरी जीवन , विशाल एवं समृद्ध साहित्य , गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है । 

❇️ मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्त्रोत :- 

🔹 इमारतें , मूर्तियाँ , कब्रें , आभूषण , औजार , मुद्राएँ , मिट्टी की पट्टिकाएं तथा लिखित दस्तावेज हैं । 

❇️ मेसोपोटामिया की भाषा :- 

🔹 इस सभ्यता में सबसे पहले ‘ सुमेरियन ‘ भाषा , उसके बाद ‘ अक्कदी ‘ भाषा और बाद में ‘ अरामाइक ‘ भाषा बोली जाती थी । 

🔹 1400 ई . पू . से धीरे – धीरे अरामाइक भाषा का प्रवेश हुआ , यह हिब्रू भाषा से मिलती – जुलती थी और 1000 ई . पू . के बाद यह व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी और आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है । 

❇️ मेसोपोटामिया की भौगोलिक स्थित :- 

🔹 यह क्षेत्र आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है । 

🔹 इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर और अक्कद कहा जाता था , बाद में इस भाग को बेबीलोनिया कहा जाने लगा । 

🔹 इसके उत्तरी भाग को असीरियाईयों के कब्जा होने के बाद असीरिया कहा जाने लगा । 

🔹 इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई . पू . में प्रारम्भ हो गया था । उरूक , उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे । 

🔹 यहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं अतः पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है । अतः यहाँ कृषि , पशुपालन एवं व्यापार आजीविका के विभिन्न साधन हैं । 

🔹 यहाँ के लोग औजार बनाने के लिए कॉसे का इस्तेमाल करते थे । यहाँ के उरुक नगर में एक स्त्री का शीर्ष मिला है जो सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया है – वार्का शीर्ष । 

🔹 श्रम विभाजन एवं सामाजिक संगठन शहरी जीवन एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता थे । 

🔹 यहाँ खाद्य – संसाधन तो समृद्ध थे परन्तु खनिज – संसाधनों का अभाव था , जिन्हें तुर्की , ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाया जाता था । 

🔹 यहाँ व्यापार के लिए परिवहन व्यवस्था अच्छी थी जलमार्ग द्वारा । फरात नदी व्यापार के लिए विश्वमार्ग के रुप में प्रसिद्ध थी । 

🔹 शहरी अर्थव्यवस्था में हिसाब – किताब , लेन – देन , रखने के लिए , यहाँ लेखन कला का विकास हुआ । 

❇️ मेसोपोटामिया की कृषि और जलवायु :- 

🔹 दज़ला और फरात नाम की नदियाँ उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाउ बारीक मिट्टी लाती रही हैं। जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है तब यह उपजाऊ मिट्टी वहाँ जमा हो जाती है । 

🔹 यहाँ का रेगिस्तानी भाग जो दक्षिण में स्थित है यहाँ भी कृषि की जाती है और फरात नदी जब इन रेगिस्तानों में पहुंचती है तो छोटे – छोटे कई धाराओं में बंटकर नहरों जैसे सिंचाई का कार्य करती है । यहाँ गेंहूँ , जौ , मटर और मसूर की खेती की जाती है । 

🔹 दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे ज़्यादा उपज देने वाली हुआ करती थी । हालांकि वहाँ फसल उपजाने के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती थी । 

🔹 स्टेपी क्षेत्र का प्रमुख कार्य पशुपालन था । यहाँ खेती के अलावा भेड़, बकरियाँ स्टेपी घास के मैदानों , पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर पाली जाती थीं ।

 ❇️ मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगर :- 

🔹 इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई . पू . में प्रारम्भ हो गया था । उरूक , उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे । 

🔹 यहाँ उर नगर में नगर – नियोजन पद्धति का अभाव था , गलियां टेढ़ी – मेढ़ी एवं संकरी थी । जल – निकास प्रणाली अच्छी नहीं थी । उर वासी घर बनाते समय शकुन – अपशकुन पर विचार करते थे । 

🔹 2000 ई . पू . के बाद फरात नदी की उर्ध्वधारा पर मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला – फूला । यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था । इसके कारण यह बहुत समृद्ध तथा खुशहाल था । यहाँ जिमरीलियम का राजमहल मिला है तथा एक मंदिर भी मिला है । 

❇️ लेखन कला :- 

🔹 मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गईं हैं वे लगभग 3200 ई . पू . की हैं , इन पर सरकण्डे की तीखी नोंक से कीलाकार लिपि द्वारा लिखा जाता था । इन पट्टिकाओं को धूप में सुखा लिया जाता था । 

❇️ लेखन प्रणाली की विशेषताएँ :- 

🔹 ध्वनि के लिए कीलाक्षर या किलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता है ।

🔹 अलग-अलग ध्वनियों के लिए अलग-अलग चिन्ह होते थे जिसके कारण लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे ।

🔹 सुखने से पहले इन्हें गीली पट्टी पर लिखना होता था । 

🔹 लिखने के लिए कुशल व्यक्ति की आवश्यकता होती थी । 

🔹 इसमें भाषा – विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप देना होता था ।

 ❇️ कीलाकार ( क्यूनीफार्म ) :- 

🔹 यह लातिनी शब्द ‘ क्यूनियस ‘ , जिसका अर्थ छूटी और फोर्मा जिसका अर्थ ‘ आकार ‘ है , से मिलकर बना है। 

❇️ काल – गणना :- 

🔹 का ल – गणना और गणित की विद्वता पूर्ण परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन है । 

🔹 इस सभ्यता के लोग गुणा – भाग , वर्गमूल , चक्रवृद्धि ब्याज आदि से परिचित थे । 

🔹 काल गणना के लिए यहाँ के लोगों ने एक वर्ष का 12 महीनों में , 1 महीने का 4 हफ्तों में , 1 दिन का 24 घंटों में तथा 1 घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया था । 

❇️ मेसोपोटामिया के शहरों के प्रकार :- 

🔹वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर

🔹 वे जो व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर 

🔹शाही शहर 

❇️ शहरीकरण / नगरों की बसावट :- 

🔹 शहर और नगर बड़ी संख्या में लोगों के रहने के ही स्थान नहीं होते थे। 

🔹 जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियाँ विकसित होने लगती है तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है । इसके फलस्वरूप कस्बे बसने लगते हैं । 

🔹 शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार , उत्पादन और तरह – तरह की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । 

🔹 नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है । 

🔹 उनमें आपस में लेनदेन होता रहता है । इस प्रकार हम देखते है कि शहरी क्रियाकलाप से गाँव लोग भी जुड़े रहते हैं। 

❇️ शहरी जीवन की विशेषताएं :- 

🔹शहरी जीवन में श्रम – विभाजन होता है । 

🔹विभिन्न कार्य से जुड़े लोग आपस में लेनदेन के माध्यम से जुड़े रहते हैं । 

🔹शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन , धातु , विभिन्न प्रकार के पत्थर , लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न – भिन्न जगहों से आती हैं । 

❇️ मेसोपोटामिया के शहरों में माल की आवाजाही :- 

🔹 मेसोपोटामिया के खाद्य – संसाधन चाहे कितने भी समृद्ध रहे हों , उसके यहाँ खनिज – संसाधनों का अभाव था। दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार , मोहरें,   मुद्राएँ और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी । 

🔹 इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी , गाडियाँ , गाडियों के पहिए या नावें बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी | 

🔹 औजार , पात्र , या गहने बनाने के लिए कोई धातु वहाँ उपलब्ध नहीं थी । 

🔹 मेसोपोटामियाई लोग संभवतः लकड़ी , ताँबा , राँगा , चाँदी , सोना , सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी – पार के देशों से मंगाते थे जिसके लिए वे अपना कपड़ा और कृषि – जन्य उत्पाद काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे । 

❇️ परिवहन :- 

🔹 परिवहन का सबसे आसान और सस्ता साधन जलमार्ग था ।

 🔹मेसोपोटामियाई शहरों के लिए जलमार्ग सबसे प्रमुख साधन होने का कारण था । 

❇️ मेसोपोटामिया के मंदिर :- 

🔹 मेसोपोटामिया के कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों की तरह थे अंतर केवल मंदिर की बाहरी दीवारों के कारण था जो कुछ खास अंतराल के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी होती थीं । ‘ उर ‘ ( चंद्र ) एवं इन्नाना ( प्रेम एवं युद्ध की देवी ) यहाँ के प्रमुख देवी-देवता थे ।

 🔹 ये कच्ची ईंटों का बना हुआ होता था । 

🔹 इन मंदिरों में विभिन्न प्रकार के देवी – देवताओं के निवास स्थान थे , जैसे उर जो चंद्र देवता था और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी । 

🔹 ये मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते गए । क्योंकि उनके खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे ।

 🔹 कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे – क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था ।

 🔹 मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ खास अंतरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं यही मंदिरों की विशेषता थी ।

 ❇️ देवता पूजा :- 

🔹 देवता पूजा का केंद्र बिंदु होता था । 

🔹 लोग देवी – देवता के लिए अन्न , दही , मछली लाते थे । 

🔹 आराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतों , मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था । 

🔹 समय आने पर उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया जैसे तेल निकालना , अनाज पीसना , कातना आरै ऊनी कपड़ों को बुनना आदि मंदिरों के पास ही की जाती थी । 

❇️ मेसोपोटामिया के शासक :- 

🔹 समय का यह विभाजन सिकंदर के उत्तराधिकारियों द्वारा अपनाया गया और वहाँ से यह रोम तथा इस्लाम की दुनिया में तथा बाद में मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा । 

🔹गिल्गेमिश :- उरूक नगर का शासक था , महान योद्धा था , जिसने दूर – दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था । 

🔹 असीरियाई शासक असुर बनिपाल ने बेबिलोनिया से कई मिट्टी की पट्टिकायें मंगवाकर निनवै में एक पुस्तकालय स्थापित किया था । 

🔹 नैबोपोलास्सर ने 625 ई . पू . में बेबिलोनिया को असीरियाई आधिपत्य से मुक्त कराया था । 

🔹331 ई . पू . में सिकंदर से पराजित होने तक बेबीलोन दुनिया का एक प्रमुख नगर बना रहा । 

🔹नैबोनिडस स्वतंत्र बेबीलोन का अंतिम शासक था !


***** एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक प्रश्न हल *****

प्रश्न 1.- हम यह क्यों कहते हैं कि प्रारंभिक शहरीकरण का कारण प्राकृतिक प्रजनन क्षमता और खाद्य उत्पादन का उच्च स्तर नहीं था?
उत्तर:- अक्सर यह कहा जाता है कि प्राकृतिक उर्वरता और खाद्य उत्पादन का उच्च स्तर प्रारंभिक शहरीकरण का कारण था। यह निम्नलिखित कारणों से है:

  • प्राकृतिक उर्वरता व्यवस्थित जीवन और कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।
  • इससे पशुपालन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • नए व्यवसायों की शुरुआत में मिट्टी की उर्वरता भी सहायक थी।
  • फलता-फूलता व्यापार और वाणिज्य भी शहरीकरण का एक अन्य प्रमुख कारक है।
  • लेखन कला और प्रशासन के विकास ने शहरीकरण के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 2.-  निम्नलिखित में से कौन सी आवश्यक स्थितियाँ थीं और कौन सी प्रारंभिक शहरीकरण के कारण थीं, और आप क्या कहेंगे कि वे शहरों के विकास का परिणाम थे:
    a) अत्यधिक उत्पादक कृषि
    b) जल परिवहन
    c) धातु और पत्थर की कमी
    d) श्रम विभाजन
    e) मुहरों का उपयोग
    f) राजाओं की सैन्य शक्ति जिसने श्रम को अनिवार्य बना दिया?
उत्तर:- शहरीकरण के लिए निम्नलिखित आवश्यक शर्तें थीं:

  • अत्यधिक उत्पादक कृषि
  • जल परिवहन
  • श्रम का विभाजन

* प्रारंभिक शहरीकरण के कारण:

  • धातु एवं पत्थरों का अभाव
  • मुहरों का उपयोग
  • राजाओं की सैन्य शक्ति ने श्रम को अनिवार्य बना दिया।

* शहरों के विकास का परिणाम:

  • कुशल परिवहन व्यवस्था.
  • व्यापार एवं सेवाओं का विकास हुआ।

प्रश्न 3.- गतिशील पशुपालक शहरी जीवन के लिए आवश्यक रूप से ख़तरा क्यों नहीं थे?
उत्तर:- गतिशील पशुपालकों को घी, धातु के औजार, अनाज आदि का आदान-प्रदान करना पड़ता था, इसलिए वे शहरी जीवन के लिए खतरा नहीं थे।

प्रश्न 4.- प्रारंभिक मंदिर एक घर जैसा क्यों रहा होगा?
उत्तर:- शुरुआती निवासियों ने अपने गांवों में चयनित स्थानों पर मंदिर बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहला ज्ञात मंदिर कच्ची ईंटों से बना एक छोटा मंदिर था। ये शुरुआती मंदिर काफी हद तक एक घर की तरह थे क्योंकि वे आकार में छोटे थे। वहां एक खुला आंगन हुआ करता था जिसके चारों ओर कमरे बने हुए थे। मंदिर विभिन्न देवताओं के निवास स्थान थे। मंदिरों की बाहरी दीवारें भी नियमित अंतराल पर अंदर-बाहर होती रहती थीं, जो किसी भी सामान्य इमारत में कभी नहीं होती थीं।

प्रश्न 5.-  शहरी जीवन शुरू होने के बाद जो नई संस्थाएँ अस्तित्व में आईं, उनमें से कौन राजा की पहल पर निर्भर रही होगी?
उत्तर:- मंदिर, व्यापार, मुहर बनाना, मूर्तिकला और लिखने की कला नई संस्थाएँ थीं जो शहरी जीवन की शुरुआत के साथ अस्तित्व में आईं। ये संस्थाएँ राजा की पहल पर निर्भर थीं।

प्रश्न 6.-  मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में प्राचीन कहानियाँ हमें क्या बताती हैं?
उत्तर:- मेसोपोटामिया की प्राचीन कहानियाँ जानकारी के बहुमूल्य स्रोत हैं। कहानियों के अनुसार, मेसोपोटामिया दो नदियों, टाइग्रिस और यूफ्रेट्स के बीच स्थित है। मेसोपोटामिया अपने समय की उन्नत सभ्यताओं में से एक थी। इसका समाज तीन वर्गों में विभाजित था, अर्थात्

  1. उच्च वर्ग
  2. मध्यम वर्ग और
  3. निम्न वर्ग

उच्च वर्ग के लोग आराम और विलासिता से भरा जीवन जीते थे और विशेष विशेषाधिकारों का आनंद लेते थे। कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय था। उनका जीवन सामान्यतः समृद्ध था। धर्म उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और लोग कई देवी-देवताओं की पूजा करते थे। शम्स उनका मुख्य देवता था। यह सूर्य था. ज़िगगुराट सुमेरियन मंदिरों को दिया गया नाम था।

बाइबिल से एक और वर्णन: बाइबिल के अनुसार, बाढ़ का उद्देश्य पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों को नष्ट करना था। हालाँकि, भगवान ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक आदमी, नूह को चुना कि पृथ्वी पर विनाशकारी बाढ़ के बाद भी जीवन जारी रह सके। नूह ने एक विशाल नाव, एक जहाज़ बनाया। उन्होंने बोर्ड पर जानवरों और पक्षियों की सभी ज्ञात प्रजातियों में से प्रत्येक का एक जोड़ा लिया, जहाज़ जो बाढ़ से बच गए। जब बाढ़ से अन्य चीजें नष्ट हो गईं, तो उसकी नाव सभी प्रजातियों के साथ सुरक्षित रही। इस प्रकार पृथ्वी पर एक नये जीवन की शुरुआत हुई। मेसोपोटामिया की परंपरा में भी ऐसी ही एक अद्भुत कहानी थी, जहां मुख्य पात्र को ज़िसुद्र या उत्तानपिष्टिम कहा जाता था।

***** अतिरिक्त प्रश्न *****

*****अति लघु उत्तरीय *****


प्रश्न 1. मेसोपोटामिया की सभ्यता के चार प्रमुख केंद्रों के नाम लिखिए।

उत्तर - i) सुमेरा,     ii) बेबीलोन,        iii) अक्काद,        iv) असीरिया


प्रश्न 2. हम्मूराबी कौन था? वह अपने किस उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रसिद्ध था?


उत्तर - हम्मूराबी मेसोपोटामिया की सभ्यता में बेबीलोन वंश का सबसे प्रसिद्ध सम्राट था। उस का सबसे प्रसिद्ध और उल्लेखनीय कार्य उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का संग्रह है, जो हम्मूराबी विधि संहिता के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी विधि संहिता के कारण ही उसको प्रसिद्धि मिली।


प्रश्न 3. मेसोपोटामिया की सभ्यता का जन्म कहां हुआ?


उत्तर - मेसोपोटामिया की सभ्यता का जन्म दजला तथा फरात नदियों की घाटी में हुआ था।


प्रश्न 4. मेसोपोटामिया के 4 नगरों के नाम लिखिए।


उत्तर - i) एरेक,         ii) एरिड्,        iii) उर,         iv) लगाश


प्रश्न 5. असीरिया के एक प्रसिद्ध सम्राट का नाम लिखिए।


उत्तर - असीरिया साम्राज्य का प्रसिद्ध सम्राट असुर बनिपाल था।


प्रश्न 6. जिगुरत का संबंध किस सभ्यता से था? 


उत्तर - जिगुरत का संबंध मेसोपोटामिया की सभ्यता से था।


प्रश्न 7. हिम्मूराबी की विधि संहिता की दो विशेषताएं लिखिए।


उत्तर - ( 1 ) कानून अमीर तथा गरीब सभी के लिए समान था।

( 2 ) कानून कोई भी अपने हाथ में नहीं ले सकता था। अपराधी को सजा देने का काम सरकार का था।


प्रश्न 8. षटदाशमिक प्रणाली का आविष्कार किस सभ्यता में हुआ था? इसके बारे में आप क्या जानते हैं?


उत्तर - षटदाशमिक प्रणाली का आविष्कार सुमेरिया सभ्यता ( मेसोपोटामिया की सभ्यता ) में हुआ। उन्होंने 10 के अंक की गणना का आधार बनाकर इसमें 6 का गुणा किया और 60 को दूसरी इकाई माना। जिस प्रकार वर्तमान समय में दस की इकाई में दशमलव प्रणाली का प्रयोग करते हैं। उसी तरह उनके प्रणाली दस के स्थान पर 60 पर आधारित थी। इसी कारण से इसे षटदाशमिक प्रणाली भी कहा जाता है।


प्रश्न 9. कीलाकार लिपि की कोई तीन विशेषताएं बताइए।


उत्तर - ( 1 ) कीलाकार लिपि का संबंध मेसोपोटामिया की सभ्यता से था। एच लिपि का आविष्कार लगभग 3000 ई. पू. में सुमेरियन लोगों ने किया था। ( 2 ) एसिडिटी में लगभग 300 अक्षर थे, जिन्हें चिन्हों, चित्रों और संकेतों के माध्यम से व्यक्त किया जाता था। ( 3 ) इस लिपि को चिकनी मिट्टी की गीली तख्तियों पर नुकीली कलम से लिखा जाता था।


प्रश्न 10.मेसोपोटामिया की सभ्यता की चार विशेषताएं लिखिए।


उत्तर - ( 1 ) शहरी जीवन था।

( 2 ) लेखन कला का आविष्कार हुआ।

( 3 ) अनेक देवी देवताओं की पूजा।

( 4 ) आर्थिक जीवन सुखी तथा संपन्न था।


प्रश्न 11. मेसोपोटामिया की कला पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - यहां के लोगों ने स्थापत्य कला के क्षेत्र में स्तंभ, मेहराब तथा गुंबद निर्माण का प्रयोग प्रारंभ किया था। उन्होंने विशाल राजमहलोंत था जिगुरत जैसी भव्य कलात्मक कृतियों का निर्माण किया था। चित्रकारी भी महलों, मंदिरों में की गई थी। मूर्तिकला, मुद्रण कला, काष्ट कला तथा संगीत कला का विकास हुआ था।


प्रश्न 12. मेसोपोटामिया के विज्ञान के विकास पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत प्रगति कर ली थी। यहां के लोगों ने गणित, खगोल, ज्योतिष तथा औषधि विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की थी।


प्रश्न 13. मेसोपोटामिया में शहर अथवा कस्बे किस प्रकार अस्तित्व में आए? 


उत्तर - जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियां विकसित होने लगती हैं, तब एक स्थान पर जनसंख्या बढ़ जाती है, फलस्वरूप शहर अथवा कस्बे स्थित में आ जाते हैं।


प्रश्न 14. शहरी जीवन की दो विशेषताएं लिखिए।


उत्तर - ( 1 ) श्रम विभाजन, 

( 2 ) सामाजिक संगठन।


प्रश्न 15. मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएं कहां से मंगाते थे?  इसके बदले में वे क्या निर्यात करते थे?


उत्तर - मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएं तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी पार के देशों से मंगाते थे। इसके बदले में वे कपड़ा तथा कृषि उत्पाद निर्यात करते थे।


प्रश्न 16. गिल्गेमिश महाकाव्य की रचना कब की गई? इसको कितनी पट्टीकाओं पर लिखा गया था।


उत्तर - महाकाव्य की रचना लगभग 27 से 25 100 ई. पू. में की गई थी यह का 12 पट्टिकाओं के ऊपर लिखा गया था।


प्रश्न 17. मेसोपोटामिया के लोगों ने समय का विभाजन किस प्रकार किया था? 


उत्तर - मेसोपोटामिया के लोगों ने समय का विभाजन चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा पर आधारित था। इसके अनुसार 1 वर्ष को 12 महीनों में, 1 महीने को चार हफ्तों में, तथा 1 दिन को 24 घंटे में और 1 घंटे को 60 मिनट में बांटा गया।


***** लघु उत्तरीय प्रश्न *****


प्रश्न 1. कीलाकार लिपि किसे कहते हैं?


उत्तर - मेसोपोटामिया की लिपि कीलाकार थी। कीलाकार लिपि मेसोपोटामिया की सभ्यता की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। यहां की लिपि चित्र प्रदान थी जिसमें 300 संकेत थे। यह लोग धातुओं की कठोर कलमों से मिट्टी की पट्टीयों पर लिखते थे। बाद में इन पट्टीयों को आग में पका लेते थे। खुदाई में इस प्रकार की पट्टीयां हजारों की संख्या में मिली है।


प्रश्न 2. मेसोपोटिमिया के नगरों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - मेसोपोटिमिया में अनेक नगर थे, जिनमें उर नगर का महत्वपूर्ण स्थान था। इस नगर के तीन भाग थे। एक भाग में मंदिर बने हुए थे जो पवित्र क्षेत्र कहलाता था। यह एक पहाड़ी के टीले पर बना हुआ था इसके अलावा यहां पर और भी अनेक छोटे-छोटे मंदिर थे। टीले पर जो मंदिर बना हुआ था, उसके चारों और दीवार बनी हुई थी, जो रक्षा की दृष्टि से बनाई गई थी। इस दीवार के अंदर साधारण जनता के भी अनेक मकान बने हुए थे। दीवार के बाहर ही लोगों के मकान बने हुए थे। यहां के प्रत्येक नगर में मंदिर होता था। मंदिर का जो देवता होता था उसे यह लोग नगर का रक्षक मानते थे।


प्रश्न 3. मेसोपोटामिया की शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।


उत्तर - राज्य पर पुरोहित वर्ग  का अधिक प्रभाव था। किंतु शासक लोग मनमानी नहीं करते थे। वे अपने को देवताओं का प्रतिनिधि मानते थे। इसलिए सम्राट को पटैसी ( देवताओं का प्रतिनिधि )  कहते थे। सम्राट युद्ध के समय सेना का नेतृत्व करता था। मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में नागरिकों की एक संसद होती थी, जिसके दो सदन होते थे। एक सदन में नगर के सभी वयस्क पुरुष होते थे और दूसरे सदन में विद्वान तथा कुछ अनुभवी व्यक्तियों को रखा जाता था। शासन के काम में संसद की राय लेना आवश्यक था, किंतु इससे शीघ्र निर्णय लेने में बड़ी कठिनाई होती थी। इसलिए एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार की स्थापना हुई और धीरे-धीरे संसद की व्यवस्था समाप्त हो गई। उसके स्थान पर एक सर्वोच्च अधिकारी की नियुक्ति की गई जिसे पटैशी कहा जाता था। राजाओं के अधिकार असीमित हो गए क्योंकि वह अपने आप को देवताओं का प्रतिनिधि मानते थे। राजाओं की देवताओं के समान पूजा होने लगी।


प्रश्न 4. जिगुरत क्या है? इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया की सभ्यता के अंतर्गत नगर के संरक्षक देवता हेतु नगर के पवित्र क्षेत्र में एक मंदिर का निर्माण कराया जाता था, जिसे जिगुरत कहा जाता था। यह मंदिर किसी पहाड़ी  या ईंटो के बने ऊंचे चबूतरे पर निर्मित किया जाता था। मंदिर के साथ ही कुछ अन्य भवनों का निर्माण भी कराया जाता था जो भंडार गृह तथा कार्यालय के रूप में प्रस्तुत किए जाते थे। यह भवन कई मंजिले होते थे। इन भावनों की सबसे ऊंची मंजिल पर देवता का निवास माना जाता था तथा वहां बैठकर ज्योतिषियों द्वारा ग्रह एवं नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता था।


प्रश्न 5. सुमेरिया की सभ्यता का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 


उत्तर - मेसोपोटामिया में सबसे पहले सुमेरिया की सभ्यता का विकास हुआ। इस सभ्यता के लोगों ने सुमेर नामक शहर को अपनी राजधानी बनाया। इसीलिए इस सभ्यता का नाम सुमेरिया सभ्यता पड़ा। दजला तथा फरात की नदियां पेलेस्टाइन में जॉर्डन नदी की घाटी में मिलती हैं। वहीं पर इस सभ्यता का विकास हुआ। यह चित्र बहुत उपजाऊ था। यहां पर एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना हुई। यहां का शासन धर्म के नाम पर चलता था। राजा अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि समझता था। पूजा पाठ के लिए अनेक मंदिर बनाए गए थे जिनको जिगुरत कहा जाता था। यहां के लोगों ने उच्च कोटि के नगरों को बताया। यहां पर कृषि का विकास हुआ। यहां के समाज में तीन वर्ग थे - उच्च वर्ग ( सामन्त-पुरोहित ) , मध्यमवर्ग ( कृषक, व्यापारी, कारीगर, मजदूर ), निम्न वर्ग     ( दास ) इस सभ्यता के लोगों को लेखन कला का विज्ञान था, जिसको कीलाकार लिपि कहते थे। इनको गणित का भी ज्ञान था। उन्होंने दशमलव प्रणाली का प्रयोग किया। समय मापने के लिए उन्होंने 60 को इकाई माना अर्थात 60 सेकंड का एक मिनट और 60 मिनट का एक घंटा तथा 360 दिन का एक वर्ष माना।


प्रश्न 6. बेबीलोनिया की सभ्यता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - फरात नदी जहां दजला नदी के काफी निकट आती है, वहां उसके तट पर बेबीलोन या बाबुल नाम का एक नगर था। यहीं पर इस सभ्यता का विकास हुआ। यहां की भूमि बहुत उपजाऊ थी। नदी के मार्गों से व्यापारी लोग नावों आदि से तरह-तरह के माल यहां लाते थे, जिनके स्थानीय निवासियों को आवश्यकता थी। मेसोपोटामिया के मुख्य स्थल मार्ग भी बेबीलोन से होकर गुजरते थे। फोन पर सामान से लदे गधों के कारवां आते जाते रहते थे। बेबीलोन मेसोपोटामिया का सबसे बड़ा व्यापारिक नगर तथा शक्तिशाली साम्राज्य की राजधानी बन गया। 1792 ई. पू. में बेबीलोन का शासक हम्मूराबी था, जिसने 1750 ई. तक शासन किया। उसके शासनकाल में साम्राज्य का सर्वांगीण विकास हुआ। उसके समय में एक विधि संहिता बनाई गई, जो हम्मूराबी की विधि संहिता के नाम से जानी जाती है। बेबीलोन सभ्यता में कृषि, शिल्प, कला तथा विज्ञान की बहुत उन्नति हुई।


प्रश्न 7. असीरिया की सभ्यता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - हम्मूराबी की मृत्यु के बाद बेबीलोन साम्राज्य कमजोर पड़ गया। असीरिया के लोगों ने इस पर आक्रमण करके अपने साम्राज्य की स्थापना कर ली। उनके राज्य में असुर नाम का प्रसिद्ध नगर था। यहीं पर इस सभ्यता का विकास हुआ। इस साम्राज्य का प्रसिद्ध शासक 'असुर बनिपाल' था। उसने व्यवस्थित शासन प्रणाली की स्थापना की। असीरिया की सभ्यता कृषि प्रधान थी। यहां पर व्यापार तथा उद्योग-धंधों का भी बहुत विकास हुआ। इनका सामाजिक जीवन भी बेबीलोन तथा सुमेर सभ्यता के समान ही था। इस सभ्यता में धर्म का महत्व कुछ कम हो गया था।


प्रश्न 8. चाल्डिया ( कोल्डिया ) की सभ्यता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - चाल्डिया के लोग अपने को बेबीलोनियनों का वंशज मानते थे। इसलिए उन्होंने प्राचीन बेबीलोनियन सभ्यता को पुनर्स्थापित करने का प्रयत्न किया। कोल्डियनों का सर्वोच्च देवता मुद्रक था। उन्होंने अपने देवताओं को सर्वशक्तिमान माना। इस सभ्यता के लोग नैतिक जीवन का धर्म से कोई संबंध नहीं मानते थे। धर्म और सदाचार के प्रथक होने के कारण इनका व्यवहारिक जीवन दूषित हो गया था। उनका नगर बेबीलोन अपने वेश्यालयों के लिए विश्व में बदनाम था। हेरोडोट्स के अनुसार, बेबीलोन में प्रत्येक स्त्री को जीवन में कम से कम एक बार ईश्वर के मंदिर में किसी पर पुरुष के साथ, जो भी उसे पसंद कर लेता था, समागम करना पड़ता था। प्रत्येक मंदिर में देवदासियां रति व्यापार करती थीं। बहुत सी स्त्रियां मदिरालय चलाती थीं। विवाह के पूर्व युवक युवतियों को परस्पर मिलने जुलने की पूरी स्वतंत्रता थी। हेरोडोट्स के अनुसार, यहां पर विवाह योग्य लड़कियों का एक बाजार लगता था, जिसमें उनको नीलाम कर दिया जाता था। अधिकांश निर्धन पुरुष अपनी लड़कियों से वेश्यावृत्ति कराते थे। कोल्डियन ग्रहों को देवता मानते थे। वे खगोल विद्या और ज्योतिष के अध्ययन में बहुत रुचि लेते थे। उन्होंने सप्ताह को 7 दिन में, दिन को 12 घंटों में तथा घंटे को 120 मिनटों में बांटा था। कोल्डियनों ने अनेक मन्दिरों तथा मकानों का निर्माण कराया। राज प्रसाद के समीप सुप्रसिद्ध झूलते बाग थे, जिनको यूनानी विश्व के सात आश्चर्य में गणना करते हैं। उनका साहित्य मुख्यत: धार्मिक था।


प्रश्न 9. मेसोपोटामिया की विश्व को क्या देन है?


उत्तर - मेसोपोटामिया सभ्यता द्वारा अनेक ऐसी भेंट दी गई हैं जिनका आज भी किसी ना किसी रूप में मानव जीवन में उपयोग या महत्व है। विश्व में सबसे पहले नगर राज्यों एवं साम्राज्यों के दर्शन हमें ऐसी सभ्यता से प्राप्त होते हैं चौक का प्रयोग सर्वप्रथम ऐसी सभ्यता में किया गया था। सिंचाई की सबसे पहली व्यवस्था की जानकारी भी इसी सभ्यता से प्राप्त होती है। यहां पर सर्वप्रथम लिपि का व्यापक विकास हुआ। इतिहास के प्रथम विद्यालय और पुस्तकालय की जानकारी भी इसी सभ्यता से प्राप्त होती है। हम्मूराबी की विधि संहिता इस सभ्यता की मुख्य देन मानी जाती है। विश्व इतिहास में इस संहिता का महत्वपूर्ण स्थान है। इस सभ्यता की विज्ञान के क्षेत्र में भी महान देन है, जैसे- समय, कालगति, पंचांग सूर्योदय तथा सूर्यास्त, वर्ष आदि की गणना इस सभ्यता की देन है। वर्तमान समय में गणित, ज्योतिष, विज्ञान एवं खगोलशाष्त्रीय पद्धतियां इसी पर आधारित हैं।


प्रश्न 10. हम्मूराबी कौन था? हम्मूराबी की विधि संहिता के प्रमुख विशेषता लिखिए।


उत्तर - हम्मूराबी बेबीलोन का प्रमुख शासक था। उसने बेबीलोन में 2123 ई.पू. से 2080 ई. पू. तक शासन किया। उसने कानूनों का संग्रह किया जो विधि संगीता के नाम से जानी जाती है। 1902 ई. में एक फ्रांसीसी पुरातत्वविद को सुसा (ईरान) की खुदाई में हम्मूराबी की विधि संहिता प्राप्त हुई थी, जो पेरिश के 'लूव्र संग्रहालय'  में आज भी सुरक्षित है। यह सहिंता 3600 पंक्तियों में लिपिबद्ध की गई है।


इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं - 

( 1 ) कानून अमीर तथा गरीब सभी के लिए समान था। 

( 2 ) कानून को कोई भी अपने हाथ में नहीं ले सकता था, अपराधी को सजा देने का काम सरकार का था।

( 3 ) देवालयों को, जिनके पास पर्याप्त धन था,कर्जदारों को मुफ्त पैसा देने के लिए बाध्य किया गया।

( 4 ) सभी प्रकार के ठेकों के लिए नियम निर्धारित किए गए।

( 5 ) कर्जदारों को राहत देने के लिए रहम रखने की प्रथा चालू की गई।

( 6 ) मुआवजा देने की प्रथा चालू की गई।

( 7 ) दैनिक मजदूरों की मजदूरी निश्चित कर दी गई।

( 8 ) नौकर तथा नौकर रखने वालों के लिए नियम बनाए गए।

( 9 ) ब्याज की दरें निश्चित की गई।

( 10 ) जहाज पर काम करने वाले डॉक्टरों की फीस तथा कारीगरों का पारिश्रमिक निश्चित कर दिया गया।


प्रश्न 11. मेसोपोटामिया के साहित्य की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया में सर्वप्रथम लेखन करना का प्रारंभ हुआ। यहां के बेबीलोनिया में मिट्टी की पट्टीयों पर लिखने की प्रणाली ने साहित्य को विकसित किया। बेबीलोनिया में कहानी, कविता व महाकाव्यों को लिखने की प्रथा प्रचलित थी। 'गिल्गेमिस' उस समय का प्रमुख महाकाव्य था। इस महाकाव्य में सृष्टि की रचना तथा महान बाढ़ का चित्रण किया गया है। असीरिया के लोगों ने बेबीलोनिया के साहित्य को सुरक्षित रखा था। असीरिया के एक पुस्तकालय में पुस्तकों के रूप में 30,000 मिट्टी की बनी तख्तियां प्राप्त हुई हैं। इनमें से अधिकांश तख्तियां सरकारी दस्तावेज के रूप में हैं। असीरिया सभ्यता के लोग 'सुमेरियन' भाषा का प्रयोग करते थे। इनकी लिपि 'कीलाकार लिपि' थी।


प्रश्न 12. मेसोपोटामिया की लेखन कला के विकास को समझाइए।


उत्तर - मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली का प्रचलन 2000 ई. पू. के बाद हुआ। यहां की भाषा तथा लिपि में लिखा पढ़ी होने लगी। मेसोपोटामिया में जो पट्टीकाएँ पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई. पू. की हैं। उसमें चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई हैं। वहां बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 500 सूचियाँ मिली हैं। लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेनदेन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ी, क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। गीली पट्टिकाओं पर लिखकर उसको पका लिया जाता था। उनकी लिपि कीलाकार होती थी और भाषा सुमेरियन होती थी।


प्रश्न 13. मेसोपोटामिया की सभ्यता के सामाजिक जीवन की विवेचना कीजिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में एक उच्च या संभ्रांत वर्ग का प्रादुर्भाव हो चुका था। धन दौलत का ज्यादातर हिस्सा समाज के एक छोटे से वर्ग में केंद्रित था। अनेक बहुमूल्य चीजें 'उर' के राजाओं की कब्रों में मिली हैं। कानूनी दस्तावेजों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। पिता परिवार का मुखिया होता था। विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी और वधु के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे और विवाह में उपहार दिए जाते थे। वर वधु मंदिर जाकर भेंट चढ़ाते थे। पिता का घर, पशुधन, खेत आदि संपत्ति पुत्रों को देने की प्रथा थी। समाज में स्त्रियों का स्थान सम्मानजनक था।


प्रश्न 14. मेसोपोटामिया की अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया के लोगों का आर्थिक जीवन संपन्न और सुखी था। यहां की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहां गेहूं, जौ, मक्का प्रमुख रूप से उगाए जाते थे। यहां के लोगों का दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। इनके पालतू पशुओं में गाय, बैल, भेड़ व बकरी आदि प्रमुख थे। यहां पर उद्योग धंधे भी उन्नत दशा में थे। इनका कपड़ा बुनना मुख्य उद्योग था। सोना, चांदी तांबा, कांसा और शीशा आदि धातुओं की अनेक वस्तुएं यह लोग बनाते थे। यहां के लोग चाक की सहायता से सुंदर बर्तन भी बनाते थे। यहां के लोग विदेशों से व्यापार भी करते थे। यहां के लोग विदेशों से सोना, चांदी, तांबा तथा कीमती लकड़ी आदि विदेशों से मंगाते थे, और अनाज, आभूषण तथा वस्त्र आदि भी विदेशों को भेजते थे।


प्रश्न 15. मेसोपोटामिया में वैज्ञानिक विकास पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया में विज्ञान का बहुत विकास हुआ। यहां के लोगों ने गणित, खगोल, ज्योतिष एवं औषधि विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की थी। गणित के क्षेत्र में ष्टदाशमिक प्रणाली का आविष्कार यहीं के लोगों की देन थी। ज्योतिष के क्षेत्र में भी यहां के लोगों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की थी यहां के लोगों को नक्षत्रों की गति के आधार पर मौसम संबंधी जानकारी का ज्ञान था। यहां के लोगों ने चंद्रमा की गति के आधार पर एक पंचांग ( कैलेंडर ) भी बना रखा था। वे सूर्य व चंद्रग्रहण की भविष्यवाणी भी कर सकते थे। यहां के लोगों ने अनेक प्रकार के रसायनों तथा औषधियों का आविष्कार किया था।


प्रश्न 16. शहरी जीवन में श्रम विभाजन का क्या महत्व था? 


उत्तर - श्रम विभाजन का अर्थ - किसी भी कार्य को अनेक भागों तथा उप विभागों में विभाजित करके अलग-अलग व्यक्तियों से करवाने को ही श्रम विभाजन कहते हैं।


श्रम विभाजन का महत्व - शहरी जीवन में श्रम विभाजन का बड़ा महत्व है। इसका कारण यह है कि शहरी अर्थव्यवस्था में खाद उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उद्योग तथा तरह-तरह की सेवाओं की भी भूमिका होती है। किंतु शहर के लोग आत्मनिर्भर नहीं होते। देगा बाबा नगर के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए, उन पर निर्भर होते हैं। उनमें आपस में लेनदेन होता रहता है। उदाहरण के लिए एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले को पत्थर उकेरने के लिए कांसे के औजारों की आवश्यकता पड़ती है वह स्वयं ऐसे औजार नहीं बना सकता। उसकी विशेषता तो पत्थर उकेरने तक ही सीमित रहती है। वह व्यापार करना नहीं जानता। कांसे के औजार बनाने वाला भी तांबा व राँगा ( टिन ) लाने के लिए स्वयं बाहर नहीं जाता। यह सभी कार्य एक दूसरे के सहयोग से ही पूरे होते हैं।


प्रश्न 17. शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन होना क्यों आवश्यक है?


उत्तर - शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना आवश्यक है, क्योंकि शहरी वि निर्माताओं के लिए ईंधन, धातु,विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न-भिन्न जगहों से आती हैं, जिनके लिए संगठित व्यापार और भंडारण की भी आवश्यकता होती है। शहरों में अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ गांवों से आते हैं और उनके संग्रह तथा वितरण के लिए व्यवस्था करनी होती है। इसके अलावा और भी अनेक प्रकार के क्रियाकलापों में तालमेल बैठाना पड़ता है, मद्रा काटने वालों को केवल पत्थर ही नहीं, तराशने के लिए औजार और बर्तन भी चाहिए। इस  प्रणाली में कुछ लोग आदेश देते हैं और दूसरे उनका पालन करते हैं। इसके अलावा शहरी अर्थव्यवस्था को अपना हिसाब-किताब लिखित रूप में रखना पड़ता है। इन सबके लिए एक सामाजिक संगठन की आवश्यकता होती है।


***** दीर्घ उत्तरीय प्रश्न *****


प्रश्न 1. मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं लिखिए।

अथवा 

मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा संस्कृति की विवेचना कीजिए।

अथवा 

मेसोपोटामिया में कला और विज्ञान के विकास का वर्णन कीजिए।


उत्तर - ( 1 ) मेसोपोटामिया के नगर - मेसोपोटामिया में अनेक नगर राज्य थे, जिसमें उर का महत्वपूर्ण स्थान था। इस नगर के एक भाग में मंदिर बने हुए थे, जो पवित्र क्षेत्र कहलाता था। यह एक पहाड़ी के टीले पर बना हुआ था। इसके अलावा वहां पर छोटे-छोटे और भी मंदिर और अनेक एक नगर थे। इन नगरों में मंदिर का जो देवता होता था उसे वे लोग नगर का रक्षक मानते थे।


( 2 ) मेसोपोटामिया की शासन व्यवस्था - राज्य पर पुरोहित वर्ग  का अधिक प्रभाव था। किंतु शासक लोग मनमानी नहीं करते थे। वे अपने को देवताओं का प्रतिनिधि मानते थे। इसलिए सम्राट को पटैसी (देवताओं का प्रतिनिधि) कहते थे। सम्राट युद्ध के समय सेना का नेतृत्व करता था। मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में नागरिकों की एक संसद होती थी, जिसके दो सदन होते थे। एक सदन में नगर के सभी वयस्क पुरुष होते थे और दूसरे सदन में विद्वान तथा कुछ अनुभवी व्यक्तियों को रखा जाता था। शासन के काम में संसद की राय लेना आवश्यक था, किंतु इससे शीघ्र निर्णय लेने में बड़ी कठिनाई होती थी। इसलिए एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार की स्थापना हुई और धीरे-धीरे संसद की व्यवस्था समाप्त हो गई। उसके स्थान पर एक सर्वोच्च अधिकारी की नियुक्ति की गई जिसे पटैशी कहा जाता था।


( 3 ) सामाजिक जीवन - मेसोपोटामिया के समाज में वर्ग भेद था। समाज सामान्यतः तीन भागों में विभाजित था - उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग। उच्च वर्ग में राज्य के साथ शासक, जमींदार, पुरोहित, अधिकारी सम्मिलित थे। मध्यम वर्ग में छोटे व्यापारी, किसान, शिल्पकार दुकानदार तथा निम्न वर्ग में दास सम्मिलित थे। समाज में नारियों की दशा अच्छी थी। यहां के लोग ईटों के मकान बनाते थे तथा सूती, ऊनी कपड़ों का प्रयोग करते थे। यहां के लोग सोने, चांदी के आभूषण पहनते थे। निर्धन लोग तांबे के आभूषण पहनते थे। यहां के लोग शवों को दफनाया करते थे। इस काल में शवों को सुरक्षित करने के लिए लेप किया जाता था। यह शव ममी कहलाते थे।


( 4 ) आर्थिक जीवन - मेसोपोटामिया का प्रदेश उपजाऊ था।  यहां  के लोगों का प्रमुख पेशा खेती था। गेहूं जौं तथा खजूर प्रमुख उपजें थीं। यहां के लोग बैल, गाय तथा बकरी आदि पशुओं को भी पालते थे। मेसोपोटामिया में उद्योग धंधे उन्नत दशा में थे। यहां के लोग अनेक प्रकार की दस्तकारियाँ भी जानते थे। कपड़ा बनाना उनका मुख्य उद्योग था। उन्हीं कपड़ों का व्यवसाय खूब चलता था। सोना, चांदी, तांबा, कांसा और शीशा आदि अनेक वस्तुएं बनाई जाती थी। कुमार के चाक का प्रयोग सबसे पहले यही हुआ था। चाक से यह लोग बर्तन बनाते थे। यहां पर व्यापार भी उन्नत दशा में था। इनके विदेशों के साथ भी व्यापारिक संबंध थे।


( 5 ) मेसोपोटामिया का विज्ञान - मेसोपोटामिया के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत उन्नति कर ली थी। ज्योतिष विद्या में लोग कुशल थे। बेबीलोनिया के प्रत्येक नगर में एक वैद्यशाला स्थापित की गई थी। उन्होंने एक जन्त्री का भी आविष्कार कर लिया था जिसकी सहायता से वे सूर्य के उदय होने तथा अस्त होने का सही समय बता सकते थे। वे आवश्यकता पड़ने पर एक वर्ष में एक महीना बड़ा कर उसे ठीक कर लिया करते थे। उनके अनुसार 1 मिनट में 60 सेकंड और एक 1 घंटे में 60 मिनट होते थे। यहां के लोगों ने दिन को 24 घंटे में तथा वर्ष को 12 महीनों में बांटा था, जिनके नाम उन्होंने नक्षत्रों के आधार पर रखे थे। वे सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण की भी पहले से भविष्यवाणी कर सकते थे। उन्होंने सूर्य घड़ी व धूपघड़ी के आविष्कार भी कर लिए थे।


( 6 ) मेसोपोटामिया का साहित्य - मेसोपोटामिया का साहित्य विकसित था। जहां पर खुदाई में 50 पात्र और एक शिलालेख मिला है। शिलालेख में उनके बनाए हुए कानूनों का संग्रह है, जो हम्मूराबी विधि संहिता के नाम से प्रसिद्ध है। पुस्तक में मिट्टी की स्लेटों पर लिखकर मंदिरों में रखी जाती थीं। एक महाकाव्य जो 'गिल्गेमीश महाकाव्य' के नाम से प्रसिद्ध है, मैं प्राचीन गाथाएं लिखी हुई हैं। गिलगमिश उनका कोई प्राचीन राजा था। बाबूलियों में सृष्टि रचना तथा महाप्रलय की एक कहानी प्रचलित थी जो एक चट्टान पर लिखी हुई मिली।


( 7 ) हम्मूराबी की विधि संहिता - हम्मूराबी सबसे प्रसिद्ध सम्राट था। शिलालेख में उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का संग्रह है जो हम्मूराबी की विधि संहिता के नाम से प्रसिद्ध है।


( 8 ) जिगुरत - प्रत्येक नगर में देवता के लिए किसी पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण किया जाता था, जिसे जिगुरत कहा जाता है। 


( 9 ) कला एवं शिल्प - मेसोपोटामिया के शिल्पकार स्तम्भ,  मेहराब तथा गुंबद बनाने में बड़े कुशल थे। जिगुरत का निर्माण कला का प्रसिद्ध नमूना है। दीवारों पर यहां के कलाकार अनेक चित्र बनाते थे। यहां की कला के नमूने उनकी सुंदर मुद्राएं हैं जो हजारों की संख्या में मिली है। यहां पर मूर्तिकला का काफी विकास हुआ था। मानव की मूर्तियों की अपेक्षा यहां पर जानवरों की मूर्तियां अधिक सजीव हैं। घोड़े, सिंह, गधे, बकरे, कुत्ते, हिरन आदि के चित्र सुंदर हैं।


( 10 ) मेसोपोटामिया की लिपि - यहां की लिपि चित्र प्रधान थी, जिसमें लगभग 300 संकेत थे। यह लोग धातु के कठोर कदमों से मिट्टी की पट्टीयों पर लिखते थे। बाद में इन पट्टीयों को आग में पका लेते थे। खुदाई में इस प्रकार की हजारों पटिया मिली हैं। यहां की लिपि कीलाकार लिपि कहते हैं।


( 11 ) धार्मिक जीवन - मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे। इनके देवी देवताओं में तीन प्रमुख थे। ( i ) शमस -  यह देवता सूर्य का प्रतीक था,  ( ii ) एनलिल, ( iii ) निनलिल। एनलिल एनलिल की पत्नी थी। उसकी भी पूजा होती थी। इसके अलावा अनु (आकाश देवता), नन्नार, चंद्र देवता आदि की भी पूजा होती थी। मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में एक मुख्य मंदिर होता था। उसमें जिस देवता की मूर्ति होती थी, उसे नगर का संरक्षक माना जाता था। नगर का शासन उसी के नाम से चलता था। मंदिर में एक पुरोहित होता था जो कि मंदिर की देख-रेख करता था। बाबुलियों का मुख्य देवता मांडूक था। ईस्तर नाम की एक देवी थी। ईस्तर का पति ताम्बुज नाम का एक देवता था। इन सभी कि यहां पर पूजा होती थी। बाबुलियों को प्रेतआत्माओं में विश्वास था।


प्रश्न 2. मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

अथवा 

शहरीकरण के कारण तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।

अथवा

मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरी जीवन के महत्व पर प्रकाश डालिए।

अथवा

मेसोपोटामिया के शहरों के विकास का वर्णन कीजिए।


उत्तर - शहरीकरण के कारण - शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई। इसका प्रमुख कारण यह था कि मेसोपोटामिया का क्षेत्र उपजाऊ था। आत: कृषि उन्नत दशा में थी उपजाऊ क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व बड़ा और वहां धीरे-धीरे शहर बस गए। दूसरे, जल परिवहन की सुविधा होने के कारण व्यापार की वृद्धि हुई। तीसरे, शहरों में श्रम विभाजन से अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।


शहरीकरण की विशेषताएं - 

( 1 ) शहरों में बड़ी संख्या में लोग रहने के लिए आवास बने।

( 2 ) शहरों अर्थव्यवस्था में खाद उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियां विकसित होने लगीं।

( 3 ) शहरों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगा।

( 4 ) शहरों अथवा कस्बों में लोगों के इकट्ठे रहने से लाभ हुआ क्योंकि शहरी अर्थव्यवस्था में खाद उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उत्पादन तथा तरह तरह की सेवाओं के कारण मानव का जीवन सुखी और संपन्न बन गया।

( 5 ) शहर गांव ऊपर और गांव शहरों पर निर्भर थे। उनमें आपस में लेन-देन चलता रहता था।

( 6 ) शहरी अर्थव्यवस्था में एक मजबूत सामाजिक संगठन होता था।

( 7 ) मेसोपोटामिया के शहरों में लोग लकड़ी, तांबा, राँगा, चांदी, सोना, सीपी तथा विभिन्न प्रकार के कीमती पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाते थे और इसके बदले में वे कपड़ा, कृषि जन्य उत्पाद काफी मात्रा में निर्यात करते थे।

( 8 ) मेसोपोटामिया में कौशल परिवहन व्यवस्था थी, परिवहन जल मार्ग से होता था, जो अन्य साधनों से सरल और सस्ता होता था।

( 9 ) पुराने मेसोपोटामिया की लहरें और प्राकृतिक जल धाराएं छोटी-बड़ी बस्तियों के बीच माल के परिवहन का अच्छा मार्ग थी।

( 10 ) मेसोपोटामिया के लोगों का शहरी जीवन संपन्न और सुखी था।

( 11 ) मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवी देवताओं को पूजा करते थे। मंदिरों के आसपास का कस्बे या शहर बस जाते थे। प्रत्येक नगर में एक मुख्य मंदिर होता था। उसमें जिस देवता की मूर्ति होती थी, उसे नगर का संरक्षक माना जाता था। नगर का शासन उसी के नाम से चलता था। इसके मुख्य देवता शमाश ( सूर्य देवता ) अनु ( आकाश देवता ),  एनलिल  ( आकाश देवता ) तथा नन्ना ( चंद्र देवता ) थे।


प्रश्न 3. मेसोपोटामिया की लेखन कला के विकास पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - ( 1 ) ध्वनियों से लेखन कला का विकास - सभी समाजों के पास अपनी एक भाषा होती है, जिसमें उच्चारित ध्वनियां अपना अर्थ प्रकट करती हैं। ऐसे मौखिक या शाब्दिक अभिव्यक्ति कहते हैं। लिखना मौखिक अभिव्यक्ति से उतना अलग नहीं है, जितना हम अक्सर समझ बैठे हैं। जब लेखन या लिपि के विषय में बात की जाती है, तो उसका अर्थ है उच्चारित ध्वनियां, जो दृश्य संकेतों या चिन्हों के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं।


( 2 ) मिट्टी की पट्टीकाएँ - मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टीकाएँ है पाई गई हैं, पहला भाग 3200 ई. पू.  की हैं। उनमें चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई हैं। वहां बैलों,  मछलियों और रोटियां आदि की लगभग 5000 सूचियां मिली हैं, जो वहां के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहां से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी।


( 3 ) आपसी लेने ने लेखन कार्य को जन्म दिया - वास्तविकता यह है कि लेखन कार्य तभी शुरू हुआ। जब समाज को अपने लेन-देन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ी क्योंकि शहरी जीवन में लेनदेन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था।


( 4 ) कीलाकार लिपि - मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की  पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। चिकनी मिट्टी को गीला करके सरकंडे की तीली की तीखी नोक से वह उसके नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिन्ह बना देता था। जब यह पट्टीकाएँ धूप में सूख जाती थी तो यह मजबूत हो जाती थी तो उस पर नया अक्षर या चिन्ह नहीं बनाया जा सकता था। इसलिए कोई नई बात या सौदा लिखने के लिए नई पट्टीका बनानी पड़ती थी। यहां की खुदाई में सैकड़ों पट्टीकाएँ मिली हैं। इस पर जिस लिपि का प्रयोग किया गया है उसको कीलाकार लिपि कहा जाता है।


( 5 ) लेखन के प्रयोग का उद्देश्य - लेकिन का प्रयोग हिसाब किताब रखने के लिए ही नहीं बल्कि शब्दकोश बनाने, भूमि के हस्तानांतरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने, राजाओं के कार्यों का वर्णन करने और कानून में उन परिवर्तनों का उद्घोष

करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता के लिए बनाए जाते थे।


( 6 ) लेखन प्रणाली - जैसे ध्वनि के लिए कीलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था, वह एक अकेला व्यंजन का स्वर नहीं होता था, किंतु अक्षर होते थे इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी। इसलिए लिखने का काम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। इस प्रकार कसी भाषा विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप में प्रस्तुत करना एक महान बौद्धक उपलब्धि माना जाता था।


प्रश्न 4. मेसोपोटामिया के उर नगर की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।


उत्तर - मेसोपोटामिया के परंपरागत कथाओं के अनुसार, उर एक अत्यंत सुंदर शहर था, जैसे प्राया केवल शहर कहकर ही पुकारा जाता था। उर मेसोपोटामिया का एक ऐसा नगर था जिसकी खुदाई 1930 में व्यवस्थित ढंग से की गई। खुदाई में जो अवशेष मिले, उससे ऐसे नगर की जानकारी मिलती है। उसका विवरण निम्न प्रकार है - 


( 1 ) टेढ़ी-मेढ़ी तथा संकरी गलियां -  खुदाई में टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी अपनी गलियां पाई गई, जिससे यह पता चलता है कि पहिए वाली गाड़ियां वहां के अनेक घरों तक नहीं पहुंच सकती थीं। अनाज के बोरे और ईंधन के गट्ठे संभवतः गधों पर लादकर करो तकला जाते थे। पतली बा घुमावदार गलियों तथा घरों के भूखंडों का एक जैसा आकार ना होने से यह निष्कर्ष निकलता है कि नगर नियोजन की पद्धति का अभाव था।


( 2 ) जल निकासी - नगर में जल निकासी के लिए गलियों के किनारे उस तरह की नालियां नहीं थी, जैसे कि उसके समकालीन मोहनजोदड़ो में पाई गई हैं, बल्कि जल निकासी की नालियों और मिट्टी की नलिकाएं 'उर' नगर के घरों के भीतरी आंगन में पाई गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि घरों की छतों पर ढलान भीतर की ओर होता था और वर्षा के पानी का निकास नालियों के माध्यम से भीतर आंगन में बने हॉजों में जाता था। यह संभव इसलिए किया गया था कि एक साथ तेज वर्षा आने पर घर के बाहर की कच्ची नालियां पूरी तरह कीचड़ से ना भर जाए।


( 3 ) घरों की सफाई - लोग अपने घरों की सफाई करके कूड़ा कचरा गलियों में डाल दिया करते थे। वह आने जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था, इससे गलियों की सफाई ऊंची हो जाती थी। अतः कुछ समय बाद घर की सतह को भी ऊंचा उठाना पड़ता था, जिससे गली का कूड़ा-कचरा बहकर घरों में ना आ जाए।


( 4 ) खिड़कियों का अभाव - इस काल के मकानों में खिड़कियां नहीं मिली हैं। कमरों के अंदर रोशनी खिड़कियों से नहीं बल्कि उन दरवाजों से होकर आती थी, जो आंगन में खुलते थे। इससे घरों में गोपनीयता बनी रहती थी।


( 5 ) घरों के बारे में अंधविश्वास - धर्म के बारे में कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित थे, जिन के विषय में पाई गई शकून - अपशकुन संबंधी बातें पट्टीकाओं पर लिखी मिली हैं, जैसे घर की देहरी ऊंची उठी हुई हो तो वह धन-दौलत लाती है, सामने का दरवाजा अगर किसी दूसरे के घर की ओर ना खुले तो वह सौभाग्य प्रदान करता है, किंतु अगर घर का लकड़ी का मुख्य दरवाजा भीतर की ओर ना खुलकर, बाहर की ओर खुले तो, पत्नी अपने पति के लिए यंत्रणा का कारण बनेगी।


( 6 ) शवों को दफनाना - उर के नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था जिसमें शासकों तथा जनसाधारण की समाधियां पाई गई हैं, किंतु कुछ लोग साधारण घरों के परसों के नीचे भी दफनाए हुए पाए गए हैं।


प्रश्न 5. बेबीलोन की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।


उत्तर -  ( 1 ) बेबीलोन प्राचीन विश्व का एक महान नगर था। यह नगर प्राचीन बेबीलोनिया साम्राज्य की राजधानी था।


( 2 ) 2370 ई. पू. के लगभग अक्कादियन शासक सारगन महान ने बेबीलोन नामक सुंदर नगर की नींव डाली।


( 3 ) हम्मूराबी के शासनकाल में बेबीलोन में विशाल और ऊंचे देवालयम का निर्माण किया गया। इनके निर्माण में स्तंभ डाटों और मेहराबों का अधिक प्रयोग किया गया। देवालयों के सामने पिरामिडों के सामान 'जिगुरत' बनाए जाते थे। सबसे ऊपरी मंजिल पर सूर्य देवता का मंदिर बनाया जाता था। बेबीलोन के एक जिगुरत की ऊंचाई 660 फुट थी। बेबीलोन के जिगुरत उसके स्थापत्य कला के शानदार नमूने हैं।


( 4 ) हम्मूराबी के शासनकाल में बेबी लोगों ने का समाज तीन वर्गों में विभाजित था - ( i ) उच्च वर्ग, जिसमें पुरोहित, पुजारी, शासनकर्ता व राज्य कर्मचारी लोग थे। ( ii ) मध्यम वर्ग, जिसमें व्यापारी लोग थे। ( iii ) गुलाम वर्ग, जिसमें विशेष कार्य खेतिहर मजदूर व नौकर आदि थे।


( 5 ) नेबुचदरेजार अपने शासनकाल में बेबीलोन नगर में एक बहुत विशाल और सुंदर महल बनवाया। इसके अतिरिक्त उसने अनेक दुर्गों और राज्य प्रसादों का भी निर्माण कराया। उसने एक विशाल मंदिर बनवाया, जो बहुत प्रसिद्ध है। मंदिर के चारों ओर एक नहर भी थी, जो मंदिर भवन को ठंडा रखती थी।


( 6 ) यहां पर झूलने वाले बाग प्राचीन काल की दुनिया की 7 आश्चर्यजनक चीजों में से एक हैं।


( 7 ) नेबुचदरेजार के शासनकाल में बेबीलोन में कृषि, व्यापार, उद्योग, कला - कौशल तथा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।



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- By Durgesh Pandey

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